हमेशा मुस्कराइए! | "मित्र तुम कुछ दिनों में मुरझा जाओगे इस मिटटी में मिल जाओगे। तुम फिर भी मुस्कराते हो, इतनी ताजगी से खिले रहते हो,, | सब इस मिटटी की ही देन है तो शिकायत कैसी ?

  हमेशा मुस्कराइए!

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एक कवि किमी बाग से गुजर रहे थे। बाग मे हजारों फूल खिले थे। बाग का नजारा स्वर्ग के जैसा लग रहा था। कवि एक फूल के पास गए और बोले, 


"मित्र तुम कुछ दिनों में मुरझा जाओगे इस मिटटी में मिल जाओगे। तुम फिर भी मुस्कराते हो, इतनी ताजगी से खिले रहते हो,, 

कयो ?' फूल कुछ नहीं बोला। इतने में एक तितली आई और फूल पर बैठ गई । 

काफी देर तक तितली ने फूल की ताजगी का मजा लिया और फिर उड़ चली। बोडी देर बाद एक भंवरा आपा। फूल के चारो और घूमते हुए मधुर संगीत सुनाया, फूल पर बैठा, खुशबू बटोरी और उड़ चली। 



उसके बाद एक मधुमक्खी आई। फूल पर बैठी, ताजा और सुगंधित पराग पाकर खुश हुई और शहद बनाने के लिए उड चली। कुछ देर बाद, एक बच्चा अपनी मां के साथ आया। 

खिलते फूल देखकर खुश हो गया। उसने फूल को छुआ और खेल में लग गया। 

अब फूल ने कवि से कहा 'देखा, पलभर के लिए सही, लेक्नि इस छोटे से जीवन में मैंने कितने चेहरों पर मुस्कान बिखेरी है। 

गुझे पता है कि कल इस मिटटी में मिल जाना है। पर, सब इस मिटटी की ही देन है तो शिकायत कैसी ? मैं मुस्कराना जानता हूँ मैं खिलखिलाना जानता हूं। 

मेरे बाद फिर इस मिटटी मे नया फूल खिलेगा, बाग मे बहार आएगी। 'यही तो जीवन है।,

 

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