हमेशा मुस्कराइए! | "मित्र तुम कुछ दिनों में मुरझा जाओगे इस मिटटी में मिल जाओगे। तुम फिर भी मुस्कराते हो, इतनी ताजगी से खिले रहते हो,, | सब इस मिटटी की ही देन है तो शिकायत कैसी ?
हमेशा मुस्कराइए! ____________________________ एक कवि किमी बाग से गुजर रहे थे। बाग मे हजा…